दोस्तों IPL Team पैसा कैसे कमाती है? क्या कभी आपने सोचा है जैसे कि लोगों में आईपीएल मैच का इतना क्रेज़ है की जब आईपीएल मैच चल रहा होता है, तो अक्सर बड़ी से बड़ी फ़िल्म की रिलीज़ डेट पोस्टपोन कर दी जाती है। तो जब Entertainment की बात करें, तो आईपीएल सबसे ऊपर आता है।
हमे पता है आईपीएल हर साल अप्रैल से मई के बीच खेला जाता है, जिसमें हर टीम भारत के किसी राज्य या शहर का Represent करती है। टीम के फ्रेंचाइजी, यानी मालिक, खिलाड़ियों को खरीदने और उनकी ट्रेनिंग के लिए करोड़ों रुपये पैसा खर्च करते हैं। खिलाड़ियों की बोली Base Price 20 लाख रूपये से लेकर करोड़ों रूपये तक लगाई जाती है, ताकि वे अच्छे प्रदर्शन से अपनी टीम को आईपीएल ट्रॉफी जीत सकें।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जीतने वाली टीम को सिर्फ 15 करोड़ रुपये मिलते हैं? ऐसे में फ्रेंचाइजी यानी मालिक अपनी इतनी बड़ी लागत कैसे वसूलते हैं? आइए, थोड़ा सा आईपीएल के बिजनेस मॉडल को समझते हैं। 2008 में शुरू हुआ! जो की आईपीएल की शुरुवात ललित मोदी जिनका एक ब्रिलियंट आइडिया था, जिसमें क्रिकेट, एंटरटेनमेंट, बॉलीवुड और बिजनेस को एक साथ जोड़ के आईपीएल को एक नया एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म बनाया गया था।
• इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) क्या है?
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं है बल्कि यह दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग में से एक है, जो खेल और बिजनेस का परफेक्ट मिश्रण है। आईपीएल का बिजनेस मॉडल इतना सफल है कि हर साल यह लीग करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाती है।
इस पोस्ट में हम आपको आईपीएल के बिजनेस मॉडल और इसके रेवेन्यू सोर्सेस के बारे में विस्तार से बताएंगे।
• IPL Team पैसा कैसे कमाती है?
IPL Team मुख्य तीन बड़े स्रोत से पैसे कमाता है:
- मार्केटिंग बेनिफिट्स (Marketing Benefits)
- सेंट्रल रेवेन्यू (Central Revenue)
- लोकल रेवेन्यू (Local Revenue)
1. मार्केटिंग बेनिफिट्स (Marketing Benefits)
मार्केटिंग और प्रमोशन आईपीएल का सबसे मजबूत रेवेन्यू सोर्स है।
एडवर्टाइजमेंट और प्रमोशन से इनकम
जब आईपीएल का सीजन शुरू होता है, तो टीवी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापनों की भरमार होती है। आईपीएल फ्रेंचाइजी अपने खिलाड़ियों के जरिए कंपनियों के विज्ञापन और प्रमोशन से पैसा कमाती हैं।
उदाहरण के लिए, अगर कोई खिलाड़ी किसी टीम का हिस्सा है, तो उसके प्रमोशन या विज्ञापन का पैसा उस टीम को मिलता है, न कि खिलाड़ी को।
स्पॉन्सरशिप डील्स
फ्रेंचाइजी टीमें कंपनियों को जर्सी, हेलमेट, बैट, और अन्य उपकरणों पर अपने ब्रांड लोगो लगाने का मौका देती हैं। इसके बदले में उन्हें मोटी रकम मिलती है।
उदाहरण: टीम की जर्सी पर दिखने वाला बड़ा लोगो मुख्य स्पॉन्सर का होता है।
2. सेंट्रल रेवेन्यू (Central Revenue)
आईपीएल का सबसे बड़ा इनकम सोर्स सेंट्रल रेवेन्यू है, जो मुख्य रूप से दो भागों में बंटा होता है:
1. ब्रॉडकास्टिंग राइट्स (Broadcasting Rights)
आईपीएल के मैचों को लाइव दिखाने के लिए टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को राइट्स खरीदने होते हैं। और उसके बदले में वो BCCI को वो काफी बड़ी Amount Paid करते है जब आईपीएल शूरु हुआ था! तब 2008 में Sony Television Network ने इसके राइट्स 10 साल के लिए करीब 4000 करोड़ रुपये में राइट्स खरीदे थे।
क्योंकि अब हम जानते है आईपीएल को पूरे 10 साल हो चुके है जो की इसका 1- Session. 2008 में शूरु हुआ था! और Sony Television Network का BCCI board के साथ 10 साल का कॉन्ट्रैक्ट भी खत्म हो चूका है! और 2018 में BCCI Board ने IPL 11 session के broadcasting के लिए फिर से नई बोली लगाई गई थी जिससे की इस बार Star India Channel ने इसे 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट से इसके राइट्स ले लिए जो की करीब 16350 करोड़ रूपये की बोली लगाकर इसके राइट्स अपने नाम किए। यह पैसा BCCI और सभी फ्रेंचाइजी के बीच बराबर बांटा जाता है।
तो अब आप सोच रहे होंगे की टीवी पर मैच दिखाने के लिए इतने सारे Amount Paid करने की जरुरत क्यों? जैसे की आप जानते हो आईपीएल बहुत ज्यादा पॉपुलर है और बहुत सारे लोग इसे टीवी और इंटरनेट पर देखते है और इसलिये जो Companies वो अपनी प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करने के लिये Advertisement करती है और जो 10 से 30 सेकण्ड्स की ऐडस आती है उसमे कम्पनीज को अपने ऐड के लिए स्लॉट खरीदने पड़ते है जो की कम्पनीज टीवी चैनल्स को करीब 10 से 30 लाख रुपये Amount Paid करने के लिए Ready हो जाती है जिससे टीवी चैनल भी Profit कमाते है।
2. ब्रांड स्पॉन्सरशिप राइट्स (Brand Sponsorship Rights)
आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप भी एक बड़ा रेवेन्यू सोर्स है। ओर यह Brand Sponsorship कई टाइप की हो सकती है
Title sponsorship:
तो दोस्तों अपने नोटिस किया होगा की जब शूरु में आईपीएल स्टार्ट हुआ था तो उसका नाम 2008-2012 तक DLF IPL था फिर 2013-2015 तक Pepsi IPL, और 2016-2022 तक Vivo ने टाइटल स्पॉन्सरशिप के राइट्स खरीदे थे। Vivo ने 2018-2022 तक के लिए 2199 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। यह पैसा भी BCCI और फ्रेंचाइजी के बीच बराबर बांटा जाता है।
Additional Sponsorship:
जैसे आईपीएल मैच के दौरान कोई भी चीज़ जो स्टेडियम में बाउंडरी रोप के अन्दर है आप को इसमें Sponsor देखने को मिलते होंगे जैसे की Bat, T-shirt, Helmet, Stump, Ground, Boundary Rope भी और अन्य स्पॉन्सरशिप से होते हैं जिससे फ्रैंचाइज़ी अच्छा खास पैसा कमाती है क्योंकि आईपीएल इतना ज्यादा पॉपुलर है कि इसे बड़ी से बड़ी कम्पनी Sponsor करने के लिये Ready हो जाती है!
3. लोकल रेवेन्यू (Local Revenue)
लोकल रेवेन्यू वह इनकम होती है, जो टीमों को स्थानीय स्तर पर टिकट बिक्री, लोकल स्पॉन्सरशिप और प्राइज मनी से मिलती है।
1. टिकट सेलिंग (Ticket Selling)
मैच के दौरान टिकट बिक्री से बड़ी इनकम होती है। यह इनकम 80:20 के अनुपात में बांटी जाती है, जिसमें 80% टीम को और 20% आयोजकों को मिलता है।
2. लोकल स्पॉन्सरशिप (Local Sponsorship)
लोकल बिजनेस और ब्रांड्स अपनी ब्रांडिंग के लिए टीमों के साथ साझेदारी करते हैं। टीम की लोकप्रियता जितनी ज्यादा होती है, उतनी ज्यादा लोकल स्पॉन्सरशिप डील्स हासिल होती हैं।
3. प्राइज मनी (Prize Money)
विनिंग टीम को 15 करोड़ और रनर-अप को 10 करोड़ रुपये मिलते हैं। यह रकम 50:50 के अनुपात में खिलाड़ियों और फ्रेंचाइजी के बीच बांटी जाती है।
• चैंपियंस लीग क्वालिफिकेशन का फायदा
जो टीमें आईपीएल के प्लेऑफ में पहुंचती हैं, उन्हें चैंपियंस लीग टी20 टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिलता है। यहां भी ब्रॉडकास्टिंग राइट्स और स्पॉन्सरशिप से इनकम होती है, जिससे टीमों को अतिरिक्त फायदा होता है।
• क्यों आईपीएल इतना पॉपुलर है?
1. इनोवेटिव मार्केटिंग: आईपीएल में मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग के नए-नए तरीके अपनाए जाते हैं, जिससे यह हमेशा चर्चा में बना रहता है।
2. ग्लोबल ऑडियंस: आईपीएल दुनियाभर में देखा जाता है, जिससे यह ग्लोबल इनकम जनरेट करता है।
3. मनोरंजन और खेल का मिश्रण: क्रिकेट के साथ-साथ ग्लैमर और मनोरंजन का तड़का इसे बेहद आकर्षक बनाता है।
4. फैन बेस: हर टीम का अपना फैन बेस होता है, जो उनकी मर्चेंडाइज और टिकटों की बिक्री को बढ़ावा देता है।
• निष्कर्ष
आईपीएल सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा बिजनेस मॉडल है, जिसमें BCCI और फ्रेंचाइजी करोड़ों रुपये कमाते हैं। मार्केटिंग बेनिफिट्स, सेंट्रल रेवेन्यू और लोकल रेवेन्यू मिलकर इसे इतना सफल बनाते हैं।
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